राजनीती

पहले वोट फिर पैसा, केजरीवाल का कैश वाला ऐलान समझ लीजिए

नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी (आप) ने दिल्ली में उस स्कीम को लागू करने का ऐलान कर दिया है जिसका इंतजार दिल्ली की महिलाओं को मार्च से ही था। पार्टी सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल ने गुरुवार को पार्टी मुख्यालय में महिला कार्यकर्ताओं के बीच आधी आबादी को अपने पाले में लाने के लिए वह दांव चल दिया, जिसे मध्य प्रदेश, हरियाणा, महाराष्ट्र, झारखंड जैसे कई राज्यों में चुनावी जीत के लिए सबसे बड़ी वजह के रूप में देखा गया। हालांकि, इसमें एक ट्विस्ट है। तकनीकी रूप से भले ही इस योजना को दिल्ली में लागू कर दिया गया है, लेकिन पैसा अभी किसी महिला के हाथ नहीं आएगा। दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल कहा कि योजना को दिल्ली में लागू कर दिया गया है। एक दिन बाद ही इसका रजिस्ट्रेशन भी शुरू कर दिया जाएगा। लेकिन पैसा चुनाव से पहले नहीं मिलेगा। केजरीवाल ने कहा, योजना को लागू कर दिया गया है। लेकिन 10-15 दिनों में ही चुनाव की घोषणा होने वाली है। इसलिए पैसा अभी आना संभव नहीं है। हालांकि उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता घर-घर जाकर रजिस्ट्रेशन शुरू करेंगे। वह फॉर्म भरवाने के साथ महिलाओं को कार्ड देंगे, जिसे संभालकर रखना है। केजरीवाल ने इस घोषणा के साथ ही दिल्ली की महिलाओं को एक सरप्राइज भी दिया और कहा कि चुनाव बाद इस स्कीम की राशि को 1000 रुपए से बढ़ाकर 2100 रुपए कर दिया जाएगा। करीब 11 मिनट के अपने भाषण में केजरीवाल ने जो कुछ कहा इसका निचोड़ यह है कि स्कीम को मंजूरी देकर भले ही केजरीवाल ने मार्च में अपनी सरकार की ओर से किए गए वादे को पूरा कर दिया है, लेकिन पैसा वह नई सरकार बनने के बाद ही देंगे। कुछ जानकार उनके इस कदम को हींग लगे ना फिटकरी रंग चोखा बता रहे हैं। मतलब यह कि मौजूदा कार्यकाल में बजट की चिंता किए बिना उन्होंने महिला वोटर्स को अपने पाले में लाने और चुनावी फायदा उठाने की भरसक कोशिश की है।

राजनीतिक विश्लेषक मायने और असर भांपने में जुटे 
ऐलान करते हुए खुद को जादूगर कहने वाले केजरीवाल की इस घोषणा के बाद राजनीतिक विश्लेषक मायने और असर भांपने में जुटे हैं। वरिष्ठ पत्रकार सतीश के सिंह कहते हैं, असल में दिल्ली में प्रदेश सरकार के पास अधिकार कम हैं, केंद्रीय नियंत्रण भी है। पैसा है ही नहीं इनेक पास, पहले भी रेवड़ी बांटते रहे हैं और सरकारी नियंत्रण भी है। वह कहते हैं कि यह लेनदेन की राजनीति का दौर है। सरकारें और राजनीतिक दल जनता की बुनियादी जरूरतों का निराकरण नहीं करते हैं तो कैश के माध्यम से भरपाई की जाती है। यह पूछे जाने पर कि क्या चुनाव से पहले एक भी किस्त हाथ में नहीं आने के बावजूद क्या केजरीवाल को ऐलान का पूरा लाभ मिल पाएगा? वरिष्ठ पत्रकार कहते हैं कि जनता के बीच क्या मैसेज जाएगा यह नहीं कहा जा सकता है। हालांकि, उनकी रेवड़ियों की विश्वसनीयत रही है, लेकिन दे देते तो ज्यादा फायदा होता। योजना का प्रचार कैसे होता है, लाभ-हानि इस बात पर निर्भर करेगा।

Related Articles

Back to top button