देश

CBI जांच का आदेश दें तो पुलिस पर भरोसा न करने की वजह भी बताएं हाई कोर्ट: सुप्रीम कोर्ट…

प्राइवेट पार्टी के लेटर लिखने भर से उच्च न्यायालयों को किसी मामले की जांच सीबीआई को नहीं सौंपनी चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक केस की सुनवाई करते हुए यह व्यवस्था दी। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की अदालत ने कहा कि सीबीआई को बेहद दुर्लभ मामलों में ही जांच सौंपी चाहिए।

ऐसा तभी होना चाहिए, जब अदालत को यह भरोसा हो जाए कि इस मामले में राज्य पुलिस न्याय नहीं कर सकती।

बेंच ने कहा, ‘इस बात में कोई संदेह नहीं है कि संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत उच्च न्यायालय किसी भी केस की जांच सीबीआई को दे सकते हैं।

लेकिन ऐसा करते वक्त उन्हें यह ख्याल भी रखना चाहिए और यह कारण भी देना चाहिए कि वे क्यों नहीं मानते कि राज्य की पुलिस इस मामले में अच्छे से जांच नहीं करेगी।’

जजों ने कहा कि महज कुछ लोगों के लेटर लिखने के आधार पर ही सीबीआई को जांच सौंप देना सही नहीं है।

इसके साथ ही अदालत ने कोलकाता हाई कोर्ट के उस आदेश को खारिज किया, जिसमें 19 अप्रैल को कहा था कि गोरखालैंड में स्कूलों में नियुक्ति में गड़बड़ी की जांच सीबीआई करे।

उच्च न्यायालय के इस फैसले के खिलाफ बंगाल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। इसी पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने उच्च न्यायालयों से कहा कि वे इसका ध्यान रखें कि महज कुछ प्राइवेट पार्टियों के लेटर के आधार पर ही फैसला न हो।

ऐसा फैसला अदालत कर सकती है, लेकिन इसके लिए उचित कारण देना होगा।

कोलकाता हाई कोर्ट की सिंगल जज की बेंच ने 9 अप्रैल को नियुक्तियों की सीबीआई जांच कराने का आदेश दिया था। यह आदेश दार्जिलिंग के रहने वाले कई लोगों की ओर से भेजे गए लेटरों के आधार पर हुआ था।

उन पत्रों में आरोप लगाया गया था कि गोरखालैंड ट्राइबल एडमिनिस्ट्रेशन के अधिकारियों ने राजनीतिक दबाव में गलत नियुक्तियां की हैं।

आरोप था कि 700 से 1000 शिक्षकों की नियुक्ति अवैध है और इसकी जांच सीबीआई से करानी चाहिए। इन्हीं लेटरों के आधार पर उच्च न्यायालय ने सीबीआई जांच का आदेश दिया था। इसी के खिलाफ ममता बनर्जी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया, जहां से यह फैसला आया है।

The post CBI जांच का आदेश दें तो पुलिस पर भरोसा न करने की वजह भी बताएं हाई कोर्ट: सुप्रीम कोर्ट… appeared first on .

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button