मध्यप्रदेशराज्य

टेक होम राशन की आपूर्ति में फर्जीवाड़ा

भोपाल । मध्य प्रदेश में छह माह से तीन वर्ष तक के बच्चों, गर्भवती और धात्री माताएं और 11 से 14 वर्ष शाला त्यागी किशोरी बालिकाओं को पूरक पोषण कार्यक्रम के अंतर्गत टेक होम राशन दिया जाता है। इसे प्रदेश के विभिन्न संयंत्रों में तैयार किया जाता है। भारत के नियंत्रक महालेखापरीक्षक (कैग) ने टेक होम राशन पर लेखा परीक्षण किया, जिसकी कई गड़बडिय़ों को रेखांकित किया है। रिपोर्ट में बताया गया कि जिन ट्रेकों से टेक होम राशन की परियोजनाओं को आपूर्ति बताई गई वे जांच में मोटर साइकिल, कार, ऑटो और ट्रैक्टर के नंबर निकले। महिला एवं बाल विकास विभाग ने इसे लिपिकीय त्रुटि बताया, जिसे कैग ने अस्वीकार कर दिया। उप मुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा ने सदन में कैग की रिपोर्ट प्रस्तुत की। कैग 2021 में टेक होम राशन का लेखा परीक्षण किया था।
इसमें जिन फर्मों ने ट्रकों द्वारा 2.96 करोड़ रुपये का 467 टन टेक होम राशन की आपूर्ति बताई थी, वाहन पोर्टल पर जांच में वे ट्रक के नंबर मोटरसाइकिल, कार, ऑटो, ट्रैक्टर और टैंकर के रूप में पंजीकृत पाए गए। इससे साफ है कि फर्जी आपूर्ति के अभिलेख प्रस्तुत किए गए। यह आपूर्तिकर्ताओं और परियोजना अधिकारियों के बीच संभावित मिलीभगत की ओर इशारा करता है। इसे अलावा इस आपूर्ति के लिए फर्मों ने न्यूनतम समर्थन मूल्य और रियायती दर पर गेहूं और चावल के अंतर के रूप में 35.74 लाख रुपये का अनुचित लाभ उठाया। ढाई करोड़ रुपये के 404 टन टेक होम राशन की आपूर्ति उन ट्रकों के माध्यम से की गई, जिनके अभिलेख वाहन पोर्टल पर नहीं पाए गए। महिला एवं बाल विकास विभाग ने इस आपत्ति पर अपने उत्तर में लिपिकीय त्रुटि बताया पर समर्थन में गेट पास, परिवहनकर्ता बिल्टी, धर्मकांटा पर्ची आदि प्रस्तुत नहीं किए। कैग ने उत्तर को अस्वीकार कर दिया और कहा कि अलग-अलग अधिकारियों ने चालान डिस्पैच और गेट पास तैयार किया, इसलिए दोनों लिपिकीय त्रुटि नहीं कर सकते। रिपोर्ट में उत्तरदायी अधिकारियों के विरुद्ध सतर्कता जांच शुरू करने और जिम्मेदारी तय करने की अनुशंसा की गई। इसके साथ ही कहा गया कि नियमित आधार पर ट्रकों की वास्तविकता की जांच के लिए स्वतंत्र तंत्र विकसित किया जाना चाहिए। जीपीएसयुक्त वाहनों का उपयोग भी सुनिश्चित किया जाए।

स्टाक में टेक होम राशन नहीं बावजूद संयंत्रों से हो गई आपूर्ति
कैग ने जांच में पाया कि बाड़ी, धार, मंडला, रीवा, सागर और शिवपुरी संयंत्रों में वर्ष 2018-21 के दौरान टेक होम राशन का स्टाक नहीं होने के बावजूद 277 चालान के माध्यम से 178 परियोजनाओं को 773.21 टन आपूर्ति बताई गई। आठ परियोजनाओं में आपूर्ति किया टेक होम राशन स्टाक पंजी में दर्ज किया गया था। इससे धोखाधड़ी की संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता है। टेक होम राशन बनाने के लिए रियायती दर का गेहूं और चावल भी उठाया, जिससे 60.21 लाख रुपये का अनुचित लाभ लिया गया। महिला एवं बाल विकास विभाग ने इस बिंदु के उत्तर में कहा कि लेखा परीक्षा में विशेष दिन में उत्पादित और आपूर्ति की गई मात्रा पर विचार किया जबकि संयंत्र में उत्पादन निरंतर होता है। कभी स्टाक में आपूर्ति की जाने वाली मात्रा की तुलना में कमी होती है तो उसे निरंतर उत्पादन से पूरा किया जाता है। कैग ने इस उत्तर को अस्वीकार कर अनुशंसा की कि स्टाक और परियोजनाओं को जारी किए गए स्टाक की पुष्टि के लिए आनलाइन तंत्र विकसित किया जाना चाहिए।

ठेकेदार ही चला रहे थे संयंत्र
टेक होम राशन तैयार करने के लिए सात संयंत्र स्थापित किए गए थे। इनका संचालन महिला स्वसहायता समूहों के परिसंघ द्वारा किया जाना था। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने मिशन को संयंत्रों का प्रबंधकीय कार्य इस शर्त पर सौंपा था कि वह समूह के सदस्यों को गतिविधियां सौंपेगा ताकि रोजगार मिल सके। 10 प्रतिशत लाभ भी समूह को दिया जाएगा। जांच में पाया कि ठेकेदार उत्पादन में संलग्न थे और महिलाओं को हाउसकीपिंग में तैनात किया गया था। 2020-21 में 21.28 करोड़ रुपये का लाभ हुआ पर समूहों को 2.18 करोड़ रुपये नहीं दिए गए।

Related Articles

Back to top button