मध्यप्रदेशराज्य

‘ई-ऑफिस’ में वन विभाग अव्वल

भोपाल। नए साल में मप्र सरकार ने नई और सकारात्मक शुरुआत की है। अब मुख्यमंत्री कार्यालय, मुख्य सचिव कार्यालय सहित सभी मंत्रालयों और विभागों में ई-ऑफिस सिस्टम लागू हो गया है। यानी कागजी नोटशीट फाइलों के बजाए मंत्रालय के सभी 56 विभागों में अब ऑनलाइन फाइलें मूव हो रही हैं। मुख्य सचिव ने दो महीने पहले सभी विभागों की एक बैठक लेकर हर हाल में एक जनवरी से ई-ऑफिस सिस्टम पर काम करने का टारगेट दिया था। एक सप्ताह से शुरू ई-ऑफिस सिस्टम के आंकलन (रिव्यू) में चौंकाने वाले नतीजे आए। 56 विभागों में से ई-ऑफिस सिस्टम पर काम करने वालों विभागों में प्रथम स्थान पर मप्र वन विभाग आया है। गौरतलब है कि प्रदेश में ई-ऑफिस सिस्टम तीन चरणों में पूरे प्रदेश में लागू होगा। पहला चरण में 1 जनवरी से यह मंत्रालय में पूरी तरह लागू किया गया है। अब मंत्रालय में सभी फाइलों का मूवमेंट सिर्फ इलेक्ट्रॉनिक मोड (ई-फाइल) में ही हो रहा है और पूरी कार्यवाही पेपरलेस हो गई है। दूसरे चरण में सभी विभाग प्रमुखों के कार्यालय और तीसरे चरण में सभी जिला स्तर के कार्यालयों को ई-ऑफिस प्रणाली में लाया जाएगा। दूसरे और तीसरे चरण की तारीखें अभी तय नहीं हैं।

स्वास्थ्य शिक्षा विभाग फीसड्डी
मप्र सरकार ने अभी हाल में ही मंत्रालय के सभी 56 विभागों में ई-ऑफिस सिस्टम लागू हो गया। सभी विभागों ने अपने-अपने कार्यालयों में इस सिस्टम पर काम करना शुरू कर दिया है। मुख्य सचिव ने दो महीने पहले सभी विभागों की एक बैठक लेकर हर हाल में एक जनवरी से ई-ऑफिस सिस्टम पर काम करने का टारगेट दिया था। एक सप्ताह से शुरू ई-ऑफिस सिस्टम के आंकलन (रिव्यू) में चौंकाने वाले नतीजे आए। 56 विभागों में से ई-ऑफिस सिस्टम पर काम करने वालों विभागों में प्रथम स्थान पर मप्र वन विभाग आया है। सातवें स्थान पर लोक निर्माण विभाग व आठवें स्थान पर सहकारिता विभाग है। अंतिम 56 वें नंबर पर स्वास्थ्य शिक्षा है, जहां का आंकलन शून्य है। प्रथम स्थान पर मप्र वन विभाग रहा। दूसरे स्थान पर सामान्य प्रशासन विभाग, तीसरे स्थान पर तकनीकी शिक्षा विभाग, चौथे स्थान पर नगरीय विकास विभाग, पांचवें स्थान पर कृषि विभाग तथा छठवें स्थान पर राजस्व, सांतवे स्थान पर लोक निर्माण विभाग पीडब्ल्यूडी, आठवें स्थान पर सहकारिता, नौवें स्थान पर गृह विभाग तथा दसवें स्थान पर स्कूल शिक्षा विभाग आया है। 13 वें स्थान पर आए पीएचई ने सर्वाधिक 3429 पी. फाइले क्रिएट की, हालांकि ई. फाइल महज 49 ही हो पाया। कुछ विभागों ने तो महज खानापूर्ति के लिए ही ई-ऑफिस सिस्टम पर काम शुरू किया है।

आठ साल पहले शुरू हुआ अभियान
राज्य सरकार ने सबसे पहले वर्ष 2016 से ई-ऑफिस सिस्टम पर काम करने की योजना बनाई थी। इसे पहले मंत्रालय में लागू करना था। इसके बाद इसके विभिन्न संचालनालयों व तीसरे चरण में जिले स्तर पर ई-ऑफिस सिस्टम लागू करना था। उस दौरान इस सिस्टम के लिए सभी विभागों में कंप्यूटर लगाए गए। साल भर प्रशिक्षण चलता रहा। करोड़ों रुपए पानी की तरह बहाया गया। किंतु सिस्टम पर काम शुरू नहीं हो पाया। यह सब होते हुए 8 वर्ष बीत गए। इस बार फिर से ई-ऑफिस सिस्टम पर काम शुरू करने की तैयारी हुई। मुख्य सचिव अनुराग जैन ने सभी विभागों को लक्ष्य दिया। विभागों ने भी इसे काफी संजीदगी से लिया। गृह विभाग ने तो अपने कर्मचारियों से साफ कर दिया कि हर हाल में ई-ऑफिस सिस्टम पर काम शुरू करें, अन्यथा उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। सूत्र बताते हैं कि अभी भी कई ऐसे विभाग हैं, जो ई- ऑफिस सिस्टम पर काम शुरू नहीं करना चाहते हैं। ऐसे अधिकारियों व उस विभाग के कर्मचारियों का मानना है कि पुरानी व्यवस्था फिर से शुरू हो जाएगी। एक कर्मचारी ने बताया कि वे तो पूरी शिद्दत से इस पर काम करना चाहते हैं, पर उनके विभाग के अधिकारी ही इसके लिए गंभीर नहीं हैं। इस वजह से ई-ऑफिस सिस्टम पर काम शुरू करने में अड़चनें आ रही है। यदि विभागों की यही रफ्तार रही तो आने वाले दिनों में यह सिस्टम भी पुरानी व्यवस्था का भेंट चढ़ जाएगा।

विभागों की परफॉर्मेंस
प्रदेश में ई-ऑफिस सिस्टम लागू होने के बाद से लगभग सभी विभाग फाइलों को ऑनलाइन मुवमेंट पर जोर दे रहे हैं।  ई-ऑफिस सिस्टम को लेकर विभागों की परफॉर्मेंस पर गौर करें तो मंत्रालय के विभागों में प्रथम स्थान पर आए वन विभाग ने कुल 1060 फाइलें मूव की, जबकि सबसे अधिक 9962 फाइलें सामान्य प्रशासन विभाग ने मूव किया है। तीसरे स्थान पर आए तकनीकी शिक्षा विभाग ने महज 28, नगरीय विकास विभाग ने 909, कृषि विभाग ने 69 राजस्व विभाग ने 3158 तथा पीडब्ल्यूडी ने 1421 फाइलें मूव की। स्वास्थ्य शिक्षा सभी मापदंडों पर फिसड्डी रहा। इनका परफारमेस जीरो रहा। महज 11 विभाग ही 50 या उससे फाइले क्रिएट कर सकी। बाकी सभी विभाग उससे नीचे प्रदर्शन किए हैं। आश्चर्य की बात यह कि 56 में से महज 25 विमाग ही ऐसे हैं. जहां 20 से अधिक फाइले क्रिएट हुई और ई-ऑफिस सिस्टम पर काम सुचारू पूर्वक शुरू हुआ। बाकी सभी विभागों का प्रदर्शन बेहद ही शर्मनाक रहा। यह भी आश्चर्य है कि इस सिस्टम पर काम करने में एक तरफ जहां सभी तरह से सिस्टम को सुचारू बनाया गया है तो दूसरी तरफ मुख्यमंत्री सचिवालय को जाने वाली फाइलों के लिए अभी सिस्टम में कोई भी ऑप्शन नहीं है। ऐसे में यदि कोई मुख्यमंत्री कार्यालय में फाइलें भेजना चाहते तो ऑप्शन नहीं होने से ऐसा नहीं हो सकता। अब वहां की फाइलें पारंपरिक तरीके से ही जाएगी। कई अन्य तरह की दिक्कतें भी कर्मचारियों के सामने आ रही है।

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