विदेश

जवानी की दहलीज पर ही ये पीढी दिखने लगी बूढ़ी

लंदन। साल 1995 से 2010 के बीच पैदा हुए अधिकांश लोग अब नौकरी-पेशा हो गए हैं और जवानी की दहलीज पर हैं, लेकिन यह पीढ़ी देखने में बूढ़ी लगने लगी है। इनमें से अधिकांश की बायलॉजिकल उम्र वास्तविक उम्र से ज्यादा हो गई है।
हाल ही में आई एक रिपोर्ट के अनुसार, जेन जेड, यानी 1997 से 2012 के बीच पैदा हुए लोगों में बायलॉजिकल उम्र का बढ़ना एक आम समस्या बन गई है। उनके चेहरे पर झुर्रियां, त्वचा की समस्याएं और अन्य स्वास्थ्य मुद्दे देखने को मिल रहे हैं। इसका कारण मुख्य रूप से तनाव है। जानकारी के अनुसार, कोविड-19 महामारी ने जेन जेड पीढ़ी को पूरी तरह से बदलकर रख दिया। महामारी के दौरान उनके रिश्ते, हेल्थकेयर और राजनीतिक माहौल में बड़े बदलाव आए, जिससे उनका मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित हुआ। जेन जेड एक ऐसी पीढ़ी है जो सोशल मीडिया से गहरे तौर पर जुड़ी हुई है और इस प्लेटफॉर्म पर वे खुद को परिपक्व दिखाने की कोशिश करते हैं। सोशल मीडिया पर जेन जेड के अधिकांश सदस्य शिकायत करते हैं कि उन्हें लोग अपनी उम्र से ज्यादा बूढ़ा समझते हैं।
हैल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि इस पीढ़ी के जल्दी बूढ़े होने का मुख्य कारण स्ट्रेस हार्मोन, यानी कॉर्टिसोल है। जेन जेड के लोगों के जीवन में तनाव एक अभिन्न हिस्सा बन चुका है। सबसे पहले उन्हें अकादमिक तनाव का सामना करना पड़ता है क्योंकि वे हमेशा दूसरों से आगे रहना चाहते हैं। इसके बाद कैरियर की चिंता होती है और नौकरी में अस्थिरता भी उनकी चिंता का कारण बनती है। साथ ही, सोशल मीडिया पर फॉलोअर्स की संख्या और इस प्लेटफॉर्म पर अपनी पहचान बनाने की चिंता भी उन्हें मानसिक दबाव में डालती है।

Related Articles

Back to top button