राजनीती

एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी ने 231 पृष्ठों का असहमति नोट दिया था

एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी ने शुक्रवार को कहा कि वक्फ (संशोधन) विधेयक पर संयुक्त समिति की रिपोर्ट पर उनके विस्तृत असहमति नोट को समिति के अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने उनकी जानकारी के बिना हटा दिया। समिति के सदस्य ओवैसी ने इस रिपोर्ट पर 231 पृष्ठों का असहमति नोट दिया था। यह रिपोर्ट बृहस्पतिवार को लोकसभा अध्यक्ष को सौंपी गयी थी। उन्होंने अध्यक्ष पर रिपोर्ट के संबंध में दिये गये असहमति नोट को बदलने के लिए प्रक्रिया के नियमों का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया। 

ओवैसी ने क्या कहा?
ओवैसी ने ‘एक्स’ पर लिखा,‘‘मैंने वक्फ संशोधन विधेयक के खिलाफ संयुक्त समिति को एक विस्तृत असहमति नोट सौंपा था। यह चौंकाने वाली बात है कि मेरे नोट के कुछ हिस्सों को मेरी जानकारी के बिना संपादित किया गया। हटाए गये खंड विवादास्पद नहीं थे; उनमें केवल तथ्य बताए गए थे। उन्होंने कहा, (समिति के) अध्यक्ष जगदंबिका पाल जैसी रिपोर्ट चाहते थे, वैसी रिपोर्ट तैयार करवा ली , लेकिन विपक्ष की आवाज को क्यों दबाया गया? चूंकि उन्होंने मेरी रिपोर्ट को बदलने के लिए एक नियम का दुरुपयोग किया है, इसलिए मैं जल्द ही अपना पूरा असहमति नोट जनता को पढ़ने के लिए जारी करूंगा।

ओम बिरला को सौंपी गई रिपोर्ट
वक्फ (संशोधन) विधेयक पर संसद की संयुक्त समिति ने मसौदा विधेयक पर इस रिपोर्ट को 11 के मुकाबले 15 के बहुमत से स्वीकार कर लिया। विपक्षी सदस्यों ने रिपोर्ट पर असहमति नोट प्रस्तुत किए। बता दें कि 30 जनवरी को वक्फ (संशोधन) विधेयक पर विचार करने वाली संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के अध्यक्ष जगदंबिका पॉल ने जेपीसी की रिपोर्ट लोकसभा के अध्यक्ष ओम बिरला को सौंप दी थी। बुधवार को समिति ने 665 पन्नों वाली इस रिपोर्ट को 11 के मुकाबले 15 मतों से स्वीकार किया था। इसमें भाजपा के सदस्यों द्वारा दिए गए सुझाव समाहित हैं। वहीं विपक्ष के सदस्यों ने इसे असंवैधानिक बताया और आरोप लगाते हुए कहा कि यह कदम वक्फ बोर्डों को बर्बाद कर देगा। 

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