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दिल्ली चुनाव: AAP के 8 विधायकों का इस्तीफा, केजरीवाल पर गिरी गाज

नई दिल्ली: क्रिकेट मैच का सबसे रोमांचक पल स्लॉग ओवर होता है। स्लॉग ओवर का मतलब पारी का आखिरी पल होता है, जब बल्लेबाज ज्यादा से ज्यादा रन बनाने की कोशिश में होता है, वहीं गेंदबाज रन रोकने और ज्यादा से ज्यादा विकेट लेने की कोशिश में होता है। इसी तरह दिल्ली के सियासी मैच के स्लॉग ओवर में अरविंद केजरीवाल की टीम के आठ विकेट गिरने से आम आदमी पार्टी की सियासी टेंशन बढ़ गई है। दिल्ली विधानसभा चुनाव का आखिरी चरण चल रहा है। सोमवार शाम को चुनाव प्रचार का शोर थम जाएगा और बुधवार को सभी 70 विधानसभा सीटों पर वोटिंग होगी। ऐसे में बुधवार शाम को अरविंद केजरीवाल के आठ मौजूदा विधायकों ने आम आदमी पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। 

आम आदमी पार्टी ने इस बार इन 8 विधायकों के टिकट काट दिए थे और उनकी जगह नए चेहरों को मैदान में उतारा है, जिसके चलते उन्होंने पार्टी को अलविदा कह दिया है। दिल्ली चुनाव के मतदान से ठीक पांच दिन पहले आम आदमी पार्टी के विधायक राजेश ऋषि, नरेश यादव, भावना गौर, रोहित महरौलिया, बीएस जून, मदन लाल, गिरीश सोनी और पवन शर्मा ने पार्टी छोड़ दी है। 

इन सभी विधायकों ने आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल को पत्र लिखकर पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया और विधानसभा की सदस्यता भी छोड़ दी। केजरीवाल कैसे करेंगे डैमेज कंट्रोल? 2020 में ही आम आदमी पार्टी इन 8 सीटों में से चार पर बहुत कम वोटों से जीत दर्ज कर पाई थी, जबकि चार सीटों पर जीत का अंतर बहुत ज्यादा नहीं था। ऐसे में जिस तरह से इस चुनाव में कांटे की टक्कर देखने को मिल रही है, अगर ये विधायक बीजेपी या किसी अन्य विपक्षी पार्टी का समर्थन करते हैं तो आम आदमी पार्टी के लिए राजनीतिक खेल गड़बड़ा सकता है क्योंकि कुछ वोट इधर-उधर होने से ही पूरा खेल बदल जाएगा। 

दिल्ली विधानसभा चुनाव के मतदान से पांच दिन पहले विधायकों के इस्तीफे ने केजरीवाल की राजनीतिक टेंशन बढ़ा दी है और आम आदमी पार्टी ने डैमेज कंट्रोल की कवायद शुरू कर दी है। आप विधायकों के इस्तीफे के बाद दो अन्य विधायक ऋतुराज झा और दिलीप पांडे मीडिया के सामने आए और कहा कि पार्टी ने उन्हें इस बार टिकट नहीं दिया, लेकिन वे पार्टी नहीं छोड़ रहे हैं। वे आम आदमी पार्टी के सच्चे सिपाही हैं। भाजपा और कांग्रेस उन्हें पद का लालच देकर आम आदमी पार्टी छोड़ने का दबाव बना रही है। आम आदमी पार्टी यह बताने की कोशिश कर रही है कि विधायकों ने भाजपा और कांग्रेस की साजिश के चलते इस्तीफा दिया है और उनके निर्देश पर अरविंद केजरीवाल के खिलाफ सवाल उठाए हैं। 

इसलिए चुनाव में ज्यादा राजनीतिक फर्क तो नहीं पड़ने वाला है, लेकिन मुकाबला काफी दिलचस्प हो गया है। आम आदमी पार्टी डैमेज कंट्रोल कार्ड खेल रही है, लेकिन इस्तीफे की टाइमिंग सबसे बड़ी चिंता का विषय बन गई है। आम आदमी पार्टी के पास ज्यादा समय नहीं है, दो दिन बाद चुनाव प्रचार का शोर थम जाएगा और चार दिन बाद मतदान है।

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