देश

ED, इनकम टैक्स की रडार पर थीं ये कंपनियां, खूब खरीदे इलेक्टोरल बॉन्ड; टॉप 3 डोनर्स की कहानी…

चुनाव आयोग ने बृहस्पतिवार को अपनी वेबसाइट पर इलेक्टोरल बॉन्ड के आंकड़े सार्वजनिक कर दिए।

अब इनको लेकर कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आ रहे हैं। 2019 और 2024 के बीच राजनीतिक दलों को चंदा देने वाली शीर्ष पांच कंपनियों में से तीन ने इलेक्टोरल बॉन्ड उस वक्त खरीदे जब उनके यहां प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और आयकर विभाग की जांच चल रही थी।

इनमें लॉटरी कंपनी फ्यूचर गेमिंग, इंफ्रास्ट्रक्चर फर्म मेघा इंजीनियरिंग और खनन की दिग्गज कंपनी वेदांता शामिल हैं। 

चुनाव आयोग ने बृहस्पतिवार को अपनी वेबसाइट पर इलेक्टोरल बॉन्ड के आंकड़े सार्वजनिक कर दिए। अब इनको लेकर कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आ रहे हैं।

2019 और 2024 के बीच राजनीतिक दलों को चंदा देने वाली शीर्ष पांच कंपनियों में से तीन ने इलेक्टोरल बॉन्ड उस वक्त खरीदे जब उनके यहां प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और आयकर विभाग की जांच चल रही थी।

इनमें लॉटरी कंपनी फ्यूचर गेमिंग, इंफ्रास्ट्रक्चर फर्म मेघा इंजीनियरिंग और खनन की दिग्गज कंपनी वेदांता शामिल हैं। 

डी के अनुसार, मार्टिन और अन्य ने लॉटरी विनियमन अधिनियम, 1998 के प्रावधानों का उल्लंघन करने और सिक्किम सरकार को धोखा देकर गलत लाभ प्राप्त करने के लिए एक आपराधिक साजिश रची।

ईडी ने 22 जुलाई, 2019 को एक बयान में कहा, “मार्टिन और उनके सहयोगियों ने 01.04.2009 से 31.08.2010 की अवधि के दौरान पुरस्कार विजेता टिकटों के दावे को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाकर 910.3 करोड़ रुपये की अवैध कमाई की।”

मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड 

राजनीतिक दलों को दूसरा सबसे बड़ा दानदाता हैदराबाद स्थित मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (एमईआईएल) है। इसने 2019 और 2024 के बीच 1000 करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे हैं।

कृष्णा रेड्डी द्वारा संचालित, मेघा इंजीनियरिंग तेलंगाना सरकार की कालेश्वरम बांध परियोजना जैसी प्रमुख परियोजनाओं में शामिल है। यह जोजिला सुरंग और पोलावरम बांध का भी निर्माण कर रही है।

अक्टूबर 2019 में आयकर विभाग ने कंपनी के दफ्तरों पर छापेमारी की थी। इसके बाद प्रवर्तन निदेशालय की ओर से भी जांच शुरू की गई। संयोग से, उसी साल 12 अप्रैल को एमईआईएल ने 50 करोड़ रुपये के पोल बांड खरीदे थे।

पिछले साल, सरकार ने इलेक्ट्रिक वाहन विनिर्माण संयंत्र स्थापित करने के लिए चीनी इलेक्ट्रिक कार निर्माता BYD और उसके हैदराबाद स्थित भागीदार MEIL के 1 बिलियन डॉलर के निवेश प्रस्ताव को खारिज कर दिया था।

वेदांता समूह भी रडार पर

अनिल अग्रवाल का वेदांता समूह पांचवां सबसे बड़ा दानकर्ता है। इसने 376 करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे हैं, जिसकी पहली किश्त अप्रैल 2019 में खरीदी गई थी।

लेकिन ज्ञात हो कि 2018 के मध्य में, ईडी ने दावा किया कि उसके पास वीजा के लिए रिश्वत मामले में वेदांत समूह की कथित संलिप्तता से संबंधित सबूत हैं, जहां कुछ चीनी नागरिकों को नियमों को कथित रूप से तोड़कर वीजा दिया गया था।

ईडी द्वारा सीबीआई को भेजे गए एक रिफ्रेंस में 2022 में भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया गया, जिसके बाद ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग जांच शुरू की। 16 अप्रैल, 2019 को वेदांता लिमिटेड ने 39 करोड़ रुपये से अधिक के बॉन्ड खरीदे।

अगले चार वर्षों में, 2020 के महामारी वर्ष को छोड़कर, नवंबर 2023 तक, इसने 337 करोड़ रुपये से अधिक के बांड खरीदे, जिससे वेदांता द्वारा खरीदे गए बॉन्ड का कुल मूल्य 376 करोड़ रुपये से अधिक हो गया।

जिंदल स्टील एंड पावर भी शीर्ष 15 दानदाताओं में से एक है। कंपनी ने इस अवधि में बॉन्ड के माध्यम से 123 करोड़ रुपये का दान दिया है।

जबकि कंपनी को कोयला ब्लॉक आवंटन मामले में केंद्रीय एजेंसियों द्वारा जांच का सामना करना पड़ा है। ईडी ने अप्रैल 2022 में विदेशी मुद्रा उल्लंघन के एक ताजा मामले के संबंध में कंपनी और उसके प्रमोटर नवीन जिंदल के परिसरों पर छापा मारा था।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button