घर खरीदने या मकान बनाने का कर रहे हैं प्लान, मुख्य द्वार का रखें विशेष ध्यान, जरा सी चूक से हो सकता है वास्तु दोष
घर बनाने से पहले उसका स्ट्रक्चर और डिजाइन सहित कई सारी तैयारियां की जाती हैं. लेकिन एक खुशहाल घर के लिए वास्तु शास्त्र के अनुरूप चीजें होनी आवश्यक मानी जाती हैं. ऐसा माना जाता है कि घर का मुख्य द्वार अगर वास्तु के अनुरूप होता है तो घर में हमेशा सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश होता है. वहीं घर बनाते समय दिशा का भी काफी ख्याल रखा जाना चाहिए क्योंकि यदि आपके घर का मुख्य द्वार शुभ दिशा में होता है तो देवी लक्ष्मी की कृपा सदैव बनी रहती है. यदि आप नया घर खरीदने जा रहे हैं या बनाने जा रहे हैं इन दोनों ही स्थिति में आपको वास्तु की कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए. कौन सी हैं ये जरूरी बातें? आइए जानते हैं
पूर्व दिशा
वास्तु के अनुसार, वह दिशा जहां से आप अंदर आते हैं और बाहर निकलते समय मुख करते हैं, वह प्रवेश द्वारा कहलाता है. आपके घर, ऑफिस, दुकान, फैक्ट्री का प्रवेश द्वार आपके जीवन में खासी भूमिका निभाता है. वास्तु के अनुसार, घर या व्यवसाय के लिए प्रवेश द्वार के लिए सबसे अच्छी पूर्व दिशा मानी गई है. यदि आपके घर का प्रवेश द्वार इस दिशा में है तो यह समृद्धि लाता है. साथ ही आपको हर कार्य में सफलता भी मिलती है और खुशहाली बनी रहती है.
पश्चिम दिशा
ऐसा नहीं है कि सिर्फ पूर्व दिशा मुख वाले घर ही श्रेष्ठ होते हैं. पश्चिम दिशा की ओर मुख वाले घर भी ठीक माने जाते हैं. ऐसे घरों में भी खुशहाली होती है और समृद्धि भी आती है. हालांकि आपको कुछ बातों का ध्यान रखना होता है. खास तौर पर घर का मुख्य द्वारा बीचों-बीच हो.
उत्तर दिशा
ऐसे घर जो उत्तर-पूर्व के बीच में बने होते हैं, उनमें धन की कमी नहीं होती. ऐसे में घरों में हमेशा सकारात्मकता रहती है. खास बात यह कि इन घरों में वास्तु के निर्देशों की आवश्यकता भी नहीं होती.
दक्षिण दिशा
वास्तु के अनुसार, इस दिशा में बने घरों के प्रवेश द्वार को शुभ नहीं माना जाता है. ऐसी मान्यता है कि इस दिशा में बने घरों में लोगों का स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता. साथ ही आर्थिक स्थिति भी ठीक नहीं रहती. हालांकि, कुछ वास्तु के उपाय आजमाकर आप वास्तु दोषों को खत्म कर सकते हैं.