श्रीलंका में राष्ट्रपति और संसद के कार्यकाल पर संवैधानिक पेंच खत्म
श्रीलंका के मंत्रिमंडल ने राष्ट्रपति और संसद दोनों के कार्यकाल को स्पष्ट करने के लिए संविधान में संशोधन करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। सरकार ने बुधवार को घोषणा की कि नए प्रस्ताव के आधार पर कार्यकाल केवल पांच वर्ष तक सीमित हो जाएगा। श्रीलंका में जब स्वतंत्र चुनाव आयोग अगले राष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान की तारीख की घोषणा करने की तैयारी में था तब राष्ट्रपति के कार्यकाल को लेकर विवाद खड़ा हो गया। वर्ष 2015 से 19वें संशोधन के अनुसार दोनों पदों का कार्यकाल पहले से ही पांच वर्ष है। हालांकि, समस्या अनुच्छेद 83 को लेकर थी, जिसमें कहा गया था कि जनमत संग्रह के साथ कार्यकाल को पांच से छह तक बढ़ाया जा सकता है। एक याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से यह परिभाषित करने के लिए संपर्क किया कि कार्यकाल पांच वर्ष का है या छह वर्ष का। संविधान में 30(2) और 83 के बीच अस्पष्टता पर निर्णय लेने की मांग की याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई थी। जिसका अर्थ यह है कि यह केवल पांच वर्ष का होगा। लेकिन इस याचिका को इस सप्ताह की शुरुआत में सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया। उसके बाद अब पेश किया जाने वाला संशोधन अनुच्छेद 83 (बी) से उत्पन्न होने वाले मुद्दे को हल करने की कोशिश है। क्योंकि कार्यकाल को लेकर अस्पष्टता बनी हुई है। नए प्रस्ताव में लिखा है, "राष्ट्रपति के पद की अवधि या संसद की अवधि को मौजूदा छह वर्षों से घटाकार पांच वर्ष किया जाए।"
अगले महीने होगी राष्ट्रपति चुनाव के तारीख की घोषणा
चुनाव आयोग के प्रमुख आरएमएएल रत्नायके ने कहा कि राष्ट्रपति चुनाव की तारीख की घोषणा महीने के अंत तक की जा सकती है। आयोग ने पहले घोषणा की थी कि चुनाव 16 सितंबर से 17 अक्टूबर के बीच होंगे।