विदेश

डोनाल्ड ट्रंप की सुरक्षा में चूक के बाद अमेरिका की सीक्रेट सर्विस पर उठे सवाल

अमेरिका में सुरक्षा नाकामी को लेकर बढ़ते दबाव के बीच अमेरिकी सिक्योरिटी एजेंसी ने सोमवार को कहा कि वह डोनाल्ड ट्रंप पर जानलेवा हमले के बाद स्वतंत्र समीक्षा में सहयोग करेगी। 78 वर्षीय पूर्व राष्ट्रपति शनिवार को पेन्सिलवेनिया में एक रैली को संबोधित कर रहे थे, तभी हमलावर ने उनपर कई राउंड गोलियां चलाई। इस गोलीबारी में पूर्व राष्ट्रपति घायल हो गए।

ट्रंप पर हमले को लेकर सियासी हलचल तेज

अब इस मामले में अमेरिकी सियासतदान और अवाम, दोनों ही ये पूछ रहे हैं कि एक हत्यारा कैसे बंदूक के साथ छत पर पहुंचा और उसने मंच पर खड़े डोनाल्ड ट्रंप पर चार गोलियां चलाईं। ये सब ऐसी जगह पर हुआ, जिसे सिक्योरिटी एजेंसियों ने ट्रंप के लिए ‘महफूज’ बनाया था।

घटना के बाद सवाल उठ रहे हैं कि क्या वहां मौजूद लोगों की चेतावनियों को नजरअंदाज किया या उनपर कार्रवाई नहीं की गई? चुनाव से चार महीने पहले अमेरिका के अगले संभावित राष्ट्रपति की सुरक्षा में सीक्रेट सर्विस ने इतनी गंभीर चूक कैसे की? अब इस घटना के बाद जांच में संघीय जांच एजेंसी (एफबीआई), सीक्रेट सर्विस और होमलैंड सिक्योरिटी भी शामिल हो गई हैं।

22 जुलाई को सीक्रेट सर्विस देगी जवाब

सीक्रेट सर्विस के निदेशक किंब्रली शीटल को 22 जुलाई को अमेरिका के हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव में अपना बयान देने के लिए बुलाया गया है। इससे पहले किंब्रली शीटल ने एक बयान में कहा, "सीक्रेट सर्विस संघीय, राज्य और स्थानीय एजेंसियों के साथ मिलकर यह समझने की कोशिश कर रही है कि क्या हुआ, कैसे हुआ और हम इस तरह की घटना को दोबारा होने से कैसे रोक सकते हैं।

शीटल ने आगे कहा, "हम कल अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन द्वारा घोषित स्वतंत्र समीक्षा के महत्व को समझने के लिए पूरी तरह से उसमें भाग लेंगे। हम किसी भी निरीक्षण कार्रवाई पर उपयुक्त कांग्रेस समितियों के साथ भी काम करेंगे।"

बता दें कि ट्रंप भले ही इस हमले में सुरक्षित बच गए हों। लेकिन एफबीआई ने इस हमले को हत्या की कोशिश के रूप में ही घोषित किया है। इस हमले के बाद एक तरफ जहां सीक्रेट सर्विस की सुरक्षा पर सवाल खड़े हो रहे हैं तो वहीं अमेरिकी गन कंट्रोल की फिर से मांग तेज हो रही है, क्योंकि अमेरिका में सियासी हिंसा का लंबा इतिहास रहा है। अब तक 4 अमेरिकी राष्ट्रपतियों की हत्या हो चुकी है, तो वहीं दो दर्जन से अधिक बड़े नेताओं पर जानलेवा हमले हो चुके हैं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button