राजनीती

भाजपा ने चली बड़ी चाल, ओबीसी के वोट बैंक में हुई सेंधमारी का निकाला तोड़!

नई दिल्ली। बीजेपी ने लोकसभा के चुनावों के बाद अचानक ही इन दोनों राज्यों में प्रदेश अध्यक्षों को क्यों बदलने का फैसला लिया है। बताया जाता है कि यूपी के चुनाव में ओबीसी वोटरों के एक हिस्से के भाजपा से खिसक जाने के कारण कई सीटों पर हार का सामना करना पड़ा। इसे देखते हुए बीजेपी ने अपने प्रदेश अध्यक्षों को बदलने का फैसला लिया है। भाजपा ने गुरुवार को दिलीप जायसवाल को बिहार का नया प्रदेश अध्यक्ष बनाया। वह मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष और उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी की जगह लेंगे। वहीं, मदन राठौड़ को राजस्थान का नया प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। वे सीपी जोशी की जगह लेंगे, जो ब्राह्मण हैं। मदन राठौड़ राजपूत नेता हैं। बीजेपी ने मदन राठौड़ का चयन भी मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की तरह ही किया है। वह दो बार विधायक रहे हैं और कभी किसी बड़े पद पर नहीं रहे। वहां जमे धाकड़ों के बीच से किसी को चुनने के बदले बीजेपी ने राजस्थान में एक नया चेहरा दिया है। जबकि बिहार में ओबीसी अध्यक्ष को बदलकर नया ओबीसी चेहरा दिया गया है।
सूत्रों के मुताबिक जल्द ही उत्तर प्रदेश में भी प्रदेश अध्यक्ष को बदलकर किसी ओबीसी चेहरे को पार्टी की कमान दी जा सकती है। जिससे आगे आने वाले चुनावों में ओबीसी वोटरों को पार्टी से छिटकने से रोका जा सके। मदन राठौड़ आरएसएस के प्रचारक हैं और पाली जिले से आते हैं। मौजूदा वक्त में वे राज्यसभा सांसद हैं। हाल ही में हुए लोकसभा चुनावों में राजस्थान में भाजपा को राजपूतों की नाराजगी के कारण कुछ सीटें गंवानी पड़ी थीं। मदन राठौड़ के राजस्थान का बीजेपी अध्यक्ष बनाए जाने से जातिगत संतुलन साधने में मदद मिलेगी क्योंकि राजस्थान के मुख्यमंत्री भी ब्राह्मण हैं।
दिलीप जायसवाल बिहार बीजेपी के नए प्रदेश अध्यक्ष बनाए गए हैं। वह इस वक्त बिहार सरकार में राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री हैं। दिलीप जायसवाल बिहार विधान परिषद के सदस्य हैं। वह 2009 से लगातार बिहार विधान परिषद के सदस्य हैं और ये उनका चौथा कार्यकाल है। वैश्य समाज से आने वाले दिलीप जायसवाल की सीमांचल के इलाके में अच्छी पकड़ मानी जाती है। वह लंबे अरसे से बिहार बीजेपी के कोषाध्यक्ष हैं। दिलीप जायसवाल एमबीए, एम फिल और पीएचडी की डिग्री हासिल कर चुके हैं। दिलीप जायसवाल सिक्किम भाजपा के भी प्रभारी हैं। सीमांचल के साथ साथ नॉर्थ ईस्ट में भी उनकी अच्छी पकड़ है। बिहार में ओबीसी वोटरों की संख्या कुल वोटरों का करीब 63 फीसदी है।

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