मध्यप्रदेशराज्य

भगवान सहस्त्रबाहु के गौरवशाली इतिहास की जानकारी पाठ्यक्रम में शामिल करेंगे

भोपाल ।   मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि भगवान सहस्त्रबाहु के पराक्रम और गौरवशाली इतिहास की जानकारी युवाओं को देने के लिए इसे पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने यह घोषणा आज मंदाकिनी नगर कोलार रोड स्थित जेके मेडिकल कॉलेज के सभाकक्ष में अखिल भारतवर्षीय हैहय कलचुरि महासभा के 89वें स्थापना दिवस समारोह में की। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि भारत के पराक्रमी शासक और महापुरुष विनम्रता और राष्ट्रप्रेम के गुणों के लिये याद किए जाते हैं। इनके जीवन और कार्यों की जानकारी आज की पीढ़ी को भी मिलना चाहिए। कार्यक्रम में भोपाल की महापौर श्रीमती मालती राय भी उपस्थित थीं।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि राज्य सरकार ने सावन और रक्षाबंधन के अवसर पर पूरे माह रक्षाबंधन मनाते हुए अनेक कार्यक्रम आयोजित किए हैं। बहनों का आशीर्वाद हमें मिल रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार का अर्थ लॉ एंड ऑर्डर की आदर्श स्थिति और विकास के साथ सौहार्द्र का वातावरण बनाना और संस्कृति के प्रतीक पर्वों त्योहारों को जीवित रखना भी है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि काल के प्रवाह में शत्रुओं ने हमारे राष्ट्र को हिलाने के बहुत प्रयास किए। लेकिन भारत के विभिन्न आराध्यों, शासकों और राष्ट्रवासियों की पराक्रम भावना और पुरुषार्थ का इतिहास बहुत पुराना है। भगवान श्रीराम और भगवान श्रीकृष्ण की लीला के बिना सब अधूरा है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने नई शिक्षा नीति 2020 के माध्यम से युवाओं को डिग्री लेकर बेरोजगार बने रहने की स्थिति को समाप्त किया और शिक्षा व्यवस्था को उपयोगी बनाने पर फोकस किया।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कलचुरि समाज के स्थापना दिवस समारोह में पूरे देश से भोपाल पधारे प्रतिनिधियों एवं संतजन का स्वागत किया और स्थापना दिवस समारोह एवं पुस्तकों के प्रकाशन के लिए बधाई एवं शुभकामनाएं दीं। प्रारंभ में जे.एन. सी.टी. के चांसलर श्री जे.एन. चौकसे एवं आयोजक संस्था के अन्य पदाधिकारियों ने मुख्यमंत्री डॉ. यादव का विशाल पुष्पहार से स्वागत किया। भगवान सहस्त्रबाहु की तस्वीर पर माल्यार्पण कर कार्यक्रम प्रारंभ हुआ। समारोह में मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने दो पुस्तकों “सहस्त्र -दीप” और “कलचुरि समाज” विमोचन किया। संपादक श्री प्रकाश राय पुस्तकों के संपादक मंडल के सदस्य एवं कलचुरि महासभा के पदाधिकारी उपस्थित थे।

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