इस मंदिर की चमत्कारी शक्ति ने दिया था औरंगजेब को मुंहतोड़ जवाब! रोगों से मुक्त होने यहां आते हैं लोग
मध्य प्रदेश में कई विश्व प्रख्यात मंदिर हैं. इन सभी मंदिरों का अपना-अपना महत्व है. वहीं, मध्य प्रदेश के खरगोन जिले में एक प्रसिद्ध मंदिर है. कालांतर में यह मंदिर श्री छप्पन देव के नाम से प्रख्यात होकर पूरे विश्व में एकमात्र मंदिर है. जहां मंदिर को कई शताब्दी पुराना बताया जाता है. इस मंदिर की महिमा को मुगल काल में औरंगजेब और उसकी सेना भी देख चुकी है. औरंगजेब मंदिर के मंडप को तोड़ने आए थे, लेकिन हो कुछ अजूबा गया था.
खरगोन के छप्पन देव की कहानी
खरगोन जिले में मां नर्मदा नदी के किनारे एक प्राचीन नगर मंडलेश्वर है. यहां से थोड़ी दूर पर कसरावद रोड पर देश का एकमात्र श्री छप्पन देव मंदिर है. यह मंदिर पूरे विश्व में विख्यात है. इस मंदिर का इतिहास करीब ढाई हजार साल पुराना बताया जाता है. जहां मंदिर में एमपी सहित देश के अन्य राज्यों से श्रद्धालु अपनी मनोकामनाएं लेकर आते हैं. मान्यता है कि यहां मांगी हुई सभी मुरादें पूरी होती हैं. इस मंदिर परिसर में श्रद्धालु पशुओं की बलि भी देते हैं. जहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए आते रहते हैं.
मुगलों ने भी देखी महिमा
इतिहास के जानकर दुर्गेश कुमार राजदीप ने बताया कि काल भैरव का यह मंदिर है. मंदिर के चारों दिशाओं में मंडप थे. जब वो मंडलेश्वर पहुंचे तो उसने इस मंदिर के भी तीन सभा मंडप तोड़ दिए. लेकिन काल भैरव के सभा मंडप को वो हाथ भी नहीं लगा पाया. लोग इसे बाबा का चमत्कार मानते हैं. तब से इस मंदिर में भक्तों की भीड़ देखने को मिल रही है.
मंदिर में दी जाती है पशुओं की बलि
दरअसल, श्री छप्पन देव मंदिर के उत्तर दिशा में गुरु गोरखनाथ मंदिर, दक्षिण दिशा में स्वयं बाबा काल भैरव का मंदिर, पूर्व में शिवालय एवं पश्चिम दिशा में मां सरस्वती विराजमान है. मंदिर में मुगल काल से पशु बलि देने की परंपरा की शुरुआत हुई. पशुओं की बलि होने से ब्राह्मणों ने मंदिर में पूजा करने से मना कर दिया, तब से इस मंदिर में आजतक केवट समाज के लोगों द्वारा मंदिर में सेवा दी जा रही है. इसके साथ ही मंदिर में सुरक्षा व्यवस्था का भी ध्यान रखा जाता है.
भैरव अष्टमी पर होता है भंडारे का आयोजन
श्री छप्पन देव मंदिर में क्षेत्र के लोगों के अनुसार यहां हर साल भैरव अष्टमी पर विशाल मेले का आयोजन किया जाता है. इस शुभ दिन पर मंदिर में सुबह से हवन-पूजन होगा. इसके बाद विशाल भंडारे का आयोजन किया जाता है. साथ ही शाम को एक भव्य शोभायात्रा निकाली जाती है. जहां शाम को 7:30 मिनट पर मंदिर में महाआरती होती है. जहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल होते हैं.