धर्म

खुदाई के बाद प्रकट हुए थे भोलेनाथ, सालों भर शिवलिंग के बगल से निकलता है जल, रोचक है झरना शिव मंदिर की कहानी

जहां आस्था की बात होती है, वहां पौराणिक मान्यताएं और कथाएं उभर कर आते हैं. सावन का महीना भगवान भोलेनाथ का महीना माना जाता है. इस महीने में श्रद्धालु शिवालयों में पूजा अर्चना करने पहुंचते है. भगवान भोलेनाथ से जुड़ीं कई आस्था और कहानी सुनने को मिलती है. ऐसी हीं कहानी झारखंड के पलामू जिले के शिव मंदिर की है. जहां धरती की खुदाई के बाद भगवान भोलेनाथ प्रकट हुए थे.

दरअसल, पलामू जिले के राजहरा गांव में सैकड़ों वर्ष पुराना मंदिर है. झरना शिव मंदिर के नाम से प्रसिद्ध इस मंदिर में सावन के मौके पर दूर-दूर से श्रद्धालु पूजा अर्चना करने आते है. इस मंदिर के नाम में भी खासियत है. जहां भगवान भोलेनाथ के बगल से सालों भर जल निकलता रहता है. जिस कारण इसका नाम झरना शिव मंदिर है.

एक व्यक्ति के स्वप्न में आए थे भगवान तब हुआ था मंदिर निर्माण
स्थानीय निवासी ब्रजकिशोर पांडे ने लोकल 18 को बताया की झरना शिव मंदिर की कहानी रोचक है. ये मंदिर करीब 200 वर्ष पुराना है. उस दौरान स्थानीय निवासी द्वारिका नूनिया के पूर्वज के स्वप्न में भगवान भोलेनाथ आये थे. उन्होंने बताया कि इस जगह भगवान भोलेनाथ विराजमान हैं. वहीं इस जगह एक मटके में पैसा है. जिसके बाद खुदाई की गई तो भगवान भोलेनाथ प्रकट हुए. इतना हीं नहीं हकीकत में वहां एक मटका भी मिला, जिसमें चांदी के सिक्के और पैसे थे. जिससे मंदिर निर्माण कराया गया. तबसे यहां पूजा अर्चना की जा रही है और मेले का आयोजन होता आ रहा है.

शिवलिंग को स्पर्श करता हुआ निकलता है जल
पुजारी विनोद पाठक ने लोकल 18 को बताया को यहां की सबसे खास बात है की 12 महीने शिवलिंग के पास के पत्थर से जल निकलता है. हालांकि पिछले कुछ महीनों से यह जल निकलना बंद है. मगर पहले के समय में लोग इस जल से स्नान करते थे. यह जल इतना शुद्ध होता था कि लोग अपने घर पीने के लिए भी ले जाते थे. उन्होंने बताया की मंदिर परिसर में शिव परिवार, हनुमान जी, ब्रह्म स्थान मौजूद है. इसके अलावा 1 टन का 13 फिट लंबा त्रिशूल लगाया गया है. शिवरात्रि में यहां मेले का आयोजन होता है.

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