विदेश

रूस-यूक्रेन जंग रुकवाने के लिए, भारत की तरफ उम्मीद भरी नजर से देख रही दुनिया

रोम। दुनिया के नक्शे में भारत की ताकत और हैसियत स्पष्ट दिखाई देती है। आज रूस और यूक्रेन की जंग को लेकर पूरा विश्व भारत की तरफ टक टकी लगाए बैठा है, और मानकर चल रहा है कि भारत ही एक ऐसा देश है तो यहां शांति स्थापित करवा सकता है। इसके संकेत रूस के राष्ट्रपति पुतिन पहले ही दे चुके हैं। यह पीएम मोदी की विदेश नीति का ही कमाल है कि अमेरिका सहित दुनिया के शीर्ष देश यह मानते हैं कि इस संघर्ष को खत्म करने में भारत का अहम रोल हो सकता है। इसी कड़ी में अब इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी का भी बयान आया है। उन्होंने शनिवार को कहा कि भारत और चीन जैसे देश यूक्रेन में संघर्ष को सुलझाने में भूमिका निभा सकते हैं। मेलोनी की यह टिप्पणी शनिवार को उत्तरी इटली के सेर्नोबियो शहर में एम्ब्रोसेटी फोरम में की गई, जहां उन्होंने यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोद‍िमिर जेलेंस्की के साथ भी बैठक की। मेलोनी का यह बयान ऐसे समय में आया है जब रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने बृहस्पतिवार को भारत का नाम उन तीन देशों में शामिल किया, जिनके साथ वह यूक्रेन संघर्ष को लेकर संपर्क में हैं और कहा है कि वे इस मुद्दे को सुलझाने के लिए ईमानदारी से प्रयास कर रहे हैं।
मेलोनी ने कहा, यह स्पष्ट है कि यदि अंतरराष्‍ट्रीय कानून के नियमों को तोड़ा जाता है, तो इससे अराजकता और संकट को बढ़ावा म‍िलेगा। यही बात मैंने चीन के प्रधानमंत्री से भी कही। मुझे लगता है कि चीन और भारत जैसे राष्ट्र यूक्रेन में संघर्ष को हल करने में भूमिका निभा सकते हैं और उन्हें भूमिका निभानी चाहिए। गुरुवार को व्लादिवोस्तोक में 9वें पूर्वी आर्थिक मंच को संबोधित करते हुए रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भी इस मुद्दे को सुलझाने में भारत की भूमिका का उल्लेख किया था। पुतिन ने कहा था, हम अपने मित्रों और भागीदारों का सम्मान करते हैं, जो मुझे लगता है कि संघर्ष (यूक्रेन के साथ) से जुड़े सभी मुद्दों के समाधान करने में ईमानदारी से रुचि रखते हैं। मैं चीन, ब्राजील, भारत के नेताओं के संपर्क में हूं और मुझे इन देशों के नेताओं पर भरोसा है। वे समस्‍या के समाधान में भूम‍िका न‍िभा सकते हैं। मेलोनी की टिप्पणी शनिवार को एम्ब्रोसेटी फोरम के दौरान जेलेंस्की के साथ उनकी बैठक के बाद आई। वहां दोनों नेताओं ने ताजा घटनाक्रम पर चर्चा की।
एक अलग बयान में, रूसी राष्ट्रपति के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने इस सप्ताह की शुरुआत में कहा था कि भारत, यूक्रेन के साथ बातचीत को सुविधाजनक बनाने में भूमिका निभा सकता है क्योंकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पुतिन, जेलेंस्की और अमेरिका के साथ स्वतंत्र रूप से संवाद करते हैं। गौरतलब है कि पीएम मोदी ने जुलाई में रूस और फिर अगस्त में यूक्रेन की यात्रा की थी, जहां उन्होंने ना सिर्फ पुतिन से युद्ध को खत्म करने की अपील की, बल्कि जेलेंस्की से भी यहा कि दोनों देश बिना समय गंवाए बात शुरू करें। जुलाई महीने में मॉस्को की अपनी यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने यूक्रेन में संघर्ष को समाप्त करने के लिए समाधान खोजने के लिए रूसी राष्ट्रपति के साथ व्यापक चर्चा की थी। दोनों देशों के बीच दीर्घकालिक मैत्री और अच्छे संबंधों का उल्लेख करते हुए पुतिन ने यूक्रेन में चल रहे संकट को समाप्त करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी की पहल की भी सराहना की थी। अगले महीने अगस्त में जेलेंस्की के साथ अपनी बातचीत के दौरान, प्रधानमंत्री मोदी ने बातचीत और कूटनीति के जरिए चल रहे रूस-यूक्रेन संघर्ष के शांतिपूर्ण समाधान के लिए भारत की सैद्धांतिक स्थिति और प्रतिबद्धता की फिर से पुष्टि की थी। उन्होंने क्षेत्र में शांति की शीघ्र वापसी के लिए सभी संभव तरीकों” से योगदान देने की भारत की तत्परता को भी दोहराया था। इसके बाद बीते 26 अगस्त को पीएम मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन से टेलिफोन पर बात की थी, जहां उन्होंने बाइडेन को यूक्रेन के अपने हालिया दौरे के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा था कि शांति और स्थिरता लाने को भारत का पूरा समर्थन है। इसके अगले ही दिन 27 अगस्त को पीएम मोदी की रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से फोन पर बात हुई, जहां यूक्रेन की विनाशकारी नीति का आकलन किया गया। बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में भारत की हैसियत अब उस मुकाम पर पहुंच गई है, जहां किसी भी अहम मुद्दे पर दुनिया की नजरें सबसे बड़े लोकतंत्र पर जाकर टिक जाती हैं। यही वजह है कि 30 महीने से भी अधिक समय से चल रहे रूस-यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने के लिए भारत की तरफ उम्मीदों से देखा जा रहा है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button