देश

हम सरकार के साथ बातचीत से कभी पीछे नहीं हटे; राजनाथ सिंह की ‘2016 वाली’ टिप्पणी पर बोली हुर्रियत…

जम्मू कश्मीर में 2016 को बुरहान वानी की मौत के बाद बिगड़े हालातों को लेकर की गई रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की टिप्पणी पर हुर्रियत कांफ्रेंस ने कहा कि वह सरकार के साथ बातचीत से कभी पीछे नहीं हटी।

मीरवाइज उमर फारूक के नेतृत्व वाले दल ने कहा, उनका मानना है कि जम्मू कश्मीर में शांति और सुरक्षा के लिए बातचीत ही एकमात्र विकल्प है।

राजनाथ सिंह ने कहा था कि हिजबुल कमांडर बुरहान वानी के मारे जाने के बाद उन्होंने शांति बहाली के लिए अलगाववादियों से मिलने के लिए सांसद भेजे लेकिन, उन्होंने बातचीत से इनकार कर दिया।

हुर्रियत ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा रविवार को की गई टिप्पणी पर प्रतिक्रिया दी है। जम्मू क्षेत्र के रामबन में एक चुनावी रैली के दौरान राजनाथ सिंह ने कहा था, “ मैंने हुर्रियत कांफ्रेंस से मुलाकात के लिए संसदीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया क्योंकि हम शांति बहाली के वास्ते उनसे बातचीत के लिए तैयार थे। शरद यादव अन्य लोगों के साथ हुर्रियत नेताओं से मिलने गए, लेकिन उन्होंने अपने दरवाजे बंद कर लिए।”

उन्होंने कहा, “लोग निर्दोष और नाबालिग बच्चों के खिलाफ दर्ज मामलों को वापस लेने की मांग कर रहे थे और मैंने तत्कालीन मुख्यमंत्री महबूबा मु्फ्ती से बात की और उनसे बच्चों को रिहा करने को कहा।

हमने सब कुछ किया, लेकिन जिस तरह से उन्हें (हुर्रियत नेताओं को) जवाब देना चाहिए था, उन्होंने ऐसा नहीं किया।” अब हुर्रियत ने कहा है, “रिकॉर्ड को दुरूस्त करने के लिए कुछ तथ्यों को दोहराए जाने की जरूरत है।’’

हुर्रियत ने क्या कहा

हुर्रियत ने कहा, ‘‘सितंबर 2016 में मीरवाइज चश्माशाही उप-जेल में हिरासत में थे। जेल अधिकारियों ने उन्हें महबूबा मुफ्ती का एक पत्र सौंपा था, जो उन्होंने पीडीपी अध्यक्ष के तौर पर लिखा था, न कि मुख्यमंत्री के तौर पर। इसमें उनसे गुजारिश की गई थी कि वह विपक्षी सांसदों के प्रतिनिधिमंडल से मिलें और उनसे बात करें।”

बयान में कहा गया है कि दौरे पर आए विपक्षी प्रतिनिधिमंडल के सदस्य एवं एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी उप-जेल में मीरवाइज से मिलने आए थे और मुलाकात के दौरान ओवैसी ने मीरवाइज से कहा था कि सांसदों का एक प्रतिनिधिमंडल घाटी के हालात के संबंध में हुर्रियत नेतृत्व से मिलना चाहता है।

बयान के मुताबिक, “मीरवाइज ने ओवैसी से गुजारिश की थी कि वह सरकार से हत्याएं रोकने के लिए कहें और वह हुर्रियत नेतृत्व को मिलने और हालात पर चर्चा करने की इजाजत दे, ताकि वे यह फैसला कर सकें कि क्या वे सामूहिक रूप से प्रतिनिधिमंडल से बात कर सकते हैं, और यह भी पता लगाएं कि क्या विपक्षी सांसद दीर्घकालिक सहयोग की किसी गंभीर कोशिश में मदद कर सकते हैं या यह संकट प्रबंधन की एक और कोशिश भर है, जिसे संकट के खत्म होने के बाद छोड़ दिया जाएगा, जैसा कि पहले हुआ था।”

हुर्रियत के मुताबिक, मीरवाइज ने ओवैसी से कहा कि कोई भी अलगाववादी नेता हालात को लेकर व्यक्तिगत रूप से निर्णय लेने की स्थिति में नहीं है। हुर्रियत ने कहा, “ओवैसी इस पर सहमत हुए और कहा कि वह इस गुजारिश को सरकार तक पहुंचा देंगे और चले गए।

इसके बाद इस बारे में कुछ नहीं सुना गया।” बयान में कहा गया कि हुर्रियत को यह जानकर पहली बार हैरानी हुई कि यह पहल भारत सरकार के कहने पर की गई थी। इसमें कहा गया है कि तथ्य यह है कि मीरवाइज के नेतृत्व में हुर्रियत ने समाधान के साधन के रूप में जम्मू-कश्मीर के लोगों की राजनीतिक आकांक्षाओं और भावनाओं को लेकर बातचीत की हमेशा ही दृढ़तापूर्वक और बार-बार वकालत की है।

अलगाववादी संगठन ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, पूर्व गृह मंत्री लालकृष्ण आडवाणी और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ समय से ही हुर्रियत भारत सरकार की ओर से की गई हर पेशकश में शामिल हुआ।

The post हम सरकार के साथ बातचीत से कभी पीछे नहीं हटे; राजनाथ सिंह की ‘2016 वाली’ टिप्पणी पर बोली हुर्रियत… appeared first on .

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button