नवरात्रि में कन्या पूजन करते समय इन बातों की न करें अनदेखी, मां दुर्गा होंगी रुष्ट!
नवरात्री मे कुंवारी कन्या का खास महत्व होता है. नवरात्री के दिनों मे कन्या पूजन से माता दुर्गा बेहद प्रशन्न होती है. भक्त को सुख समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करती है. क्योंकि कुंवारी कन्या को साक्षात् माता दुर्गा का ही रूप माना गया गया है. विशेषकर नवरात्री के अष्ट्मी और नवमी तिथि को कुंवारी कन्या पूजन किया जाता है. लेकिन कितने उम्र तक की बच्चियां कुंवारी कन्या का पूजन करना चाहिए ताकि शुभफल की प्राप्ति हो सके. देवघर के ज्योतिषाचार्य से जानते है.
3 अक्टूबर से नवरात्रि की शुरुआत हो चुकी है. 12 अक्टूबर तक चलने वाला है. वैसे तो नवरात्री के नौ दिनों तक कुंवारी कन्या पूजन का विधान है. लेकिन नवरात्र के अष्ट्मी के दिन भी और नवमी तिथि के दिन हवन, व्रत पारण और कन्या पूजन किया जाता है. इसका विशेष महत्व है. लेकिन, कुंवारी कन्या पूजन करते वक्त कुछ बातों का ध्यान रखना आवश्यक होता है. अन्यथा माता दुर्गा रुष्ट हो सकती है.आपका पूजा निष्फल हो सकता है.
कुंवारी कन्या पूजन मे रखे इन बातों का ध्यान
ज्योतिषाचार्य पंडित नंदकिशोर मुद्गल बताते हैं की वैसे तो नवरात्री मे हर रोज कुंवारी कन्या पूजन करना चाहिए. लेकिन नवरात्री के अष्ट्मी और नवमी के दिन नौ कुंवारी कन्या पूजन अवश्य करना चाहिए. इसके साथ ही उम्र का रखे ध्यान शास्त्र के अनुसार कन्या 1 वर्ष से लेकर 9 वर्ष तक होनी चाहिए. 1 से 9 साल के बिच तक का कुंवारी कन्या का माता दुर्गा का स्वरुप बनाकर पूजन और भोजन कराएं. वह भोजन स्वेयं भी ग्रहण करे. इससे माता दुर्गा बेहद प्रशन्न होगी.
कुंवारी कन्या मे एक बटुक का रहना बेहद जरुरी
ज्योतिषाचार्य बताता है कि नवरात्र में कई लोग सिर्फ कुंवारी कन्या का भोजन कराते हैं. लेकिन, इन कुंवारी कन्या में एक बटुक भैरव का रहना बेहद जरूरी होता है. क्योंकि कुंवारी कन्या से पहले बटुक भैरव की पूजा की जाती है. इससे पूजा सफल माना जाता है. जितने भी शक्तिपीठ है. उनके मुख्य द्वार पर बटुक भैरव विराजमान होता है. बटुक भैरव माता दुर्गा के रक्षक यानी गण माने जाते हैं.