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राजनीति में कोई संतुष्ट नहीं होता, मुख्यमंत्री डरा-डरा रहता है न जाने कब हाईकमान हटा दे

नागपुर। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने मुख्यमंत्री के पद और राजनैतिक संतुष्टि को लेकर बड़ा बयान दिया है। यहां आयोजित एक पुस्तक के विमोचन समारोह में उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री हमेशा ही डरा और सहमा रहता है। उसके भीतर डर बना रहता है कि न जाने कब हाईकमान उसकी छुट़टी कर दे। जहां तक राजनीति का सवाल है तो यहां कोई भी संतुष्ट नहीं होता है। गडकरी ने कहा है कि राजनीति असंतुष्ट आत्माओं का सागर है, जहां हर व्यक्ति दुखी है और अपने वर्तमान पद से ऊंचे पद की आकांक्षा रखता है। नागपुर में जीवन के 50 स्वर्णिम नियम नामक पुस्तक के विमोचन के अवसर पर गडकरी ने कहा कि जीवन समझौतों, बाध्यताओं, सीमाओं और विरोधाभासों का खेल है।
मंत्री ने राजस्थान में आयोजित एक कार्यक्रम को याद करते हुए कहा कि राजनीति असंतुष्ट आत्माओं का सागर है, जहां हर व्यक्ति दुखी है… जो पार्षद बनता है वह इसलिए दुखी होता है क्योंकि उसे विधायक बनने का मौका नहीं मिला और विधायक इसलिए दुखी होता है क्योंकि उसे मंत्री पद नहीं मिल सका। भाजपा नेता ने कहा, जो मंत्री बनता है वह इसलिए दुखी रहता है कि उसे अच्छा मंत्रालय नहीं मिला और वह मुख्यमंत्री नहीं बन पाया तथा मुख्यमंत्री इसलिए तनाव में रहता है क्योंकि उसे नहीं पता कि कब आलाकमान उसे पद छोड़ने के लिए कह देगा। उन्होंने कहा कि जीवन में समस्याएं बड़ी चुनौतियां पेश करती हैं और उनका सामना करना तथा आगे बढ़ना ही जीवन जीने की कला है।
खास बात है कि यह बयान ऐसे समय पर आया है, जब महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री पद को लेकर चर्चाओं का दौर जारी है। विधानसभा चुनाव में बंपर जीत के बाद भी महायुति अब तक सीएम नहीं चुन सकी है। खबरें हैं कि भाजपा मुख्यमंत्री पद अपने पास रखेगी। वहीं, दो अन्य दल एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के खाते में डिप्टी सीएम आ सकते हैं। फिलहाल, इसे लेकर आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा गया है। भारतीय जनता पार्टी  के वरिष्ठ नेता ने कहा कि चाहे व्यक्ति पारिवारिक, सामाजिक, राजनीतिक या कॉरपोरेट जीवन में हो, जीवन चुनौतियों और समस्याओं से भरा है और व्यक्ति को उनका सामना करने के लिए जीवन जीने की कला को समझना चाहिए। गडकरी ने कहा कि उन्हें अपने राजनीतिक जीवन में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन की आत्मकथा का एक उद्धरण याद है, जिसमें कहा गया है, कोई व्यक्ति तब खत्म नहीं होता जब वह हार जाता है। वह तब खत्म होता है जब वह हार मान लेता है।

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