मध्यप्रदेशराज्य

शीतकालीन सत्र में पेश होगा 10,000 करोड़ का अनुपूरक बजट

भोपाल । मप्र विधानसभा का शीतकालीन सत्र 16 दिसंबर से शुरू होगा। इस सत्र में मोहन सरकार अपना प्रथम अनुपूरक बजट प्रस्तुत करेगी। अनुपूरक बजट 10 हजार करोड़ रुपए से अधिक का हो सकता है। अनुपूरक बजट के कारण वित्त वर्ष 2025-26 के बजट की तैयारी में जुटे अधिकारियों ने अपना काम रोक दिया है और पूरा फोकस अनुपूरक बजट पर कर दिया है। विभिन्न विभागों की ओर से भेजी गई मांगों के आधार पर वित्त विभाग प्रथम अनुपूरक बजट फायनल कर रहा है। वित्त विभाग के अधिकारियों का कहना है कि प्रथम अनुपूरक बजट विधानसभा में 17 दिसंबर को पेश करने की तैयारी है। गौरतलब है कि इस बार सरकार जीरो बेस बजटिंग प्रक्रिया से बजट तैयार करवा रही है। मप्र सरकार अक्टूबर से वित्तीय वर्ष 2025-26 के बजट की तैयारियां कर रही है। बजट तैयार करने को लेकर मंत्रालय में उप सचिव स्तर की बैठकें समाप्त हो गई हैं। वित्त विभाग के उप सचिवों ने जिन विभागों के अधिकारियों के साथ बजट को लेकर चर्चा की है, वे उसकी रिपोर्ट तैयार कर वित्त विभाग को सौंपेंगे। इस बीच वित्त विभाग के अधिकारी प्रथम अनुपूरक बजट की तैयारियों में जुट गए, जिससे मुख्य बजट का काम अभी रुका हुआ है।

आधी-अधूरी तैयारी से पहुंचे अधिकारी
विधानसभा का शीतकालीन सत्र 16 दिसंबर से शुरू होगा। चूंकि वित्त विभाग नई पहल करते हुए वित्तीय वर्ष 2025-26 का बजट जीरो बेस बजटिंग प्रक्रिया के आधार पर तैयार कर रहा है, इसलिए इस साल बजट तैयार करने की प्रक्रिया जल्दी शुरू कर दी गई है। बजट पर चर्चा करने को लेकर उप सचिव स्तर की बैठकें समाप्त हो गई हैं। वित्त विभाग के उप सचिवों को अन्य विभागों के अफसरों के साथ बजट संबंधी चचर्चा की जिम्मेदारी दी गई थी। मजेदार बात यह है कि अन्य विभागों के अधिकारी आधी-अधूरी तैयारियों के साथ बैठकों में पहुंचे, जिससे वित्त विभाग के उप सचिवों को उन्हें जीरो बेस बजटिंग के बारे में जानकारी देने के लिए अतिरिक्त प्रयास करना पड़े। इस कारण कई बार बैठकें आगे बढ़ानी पड़ीं। बजट कैलेंडर के अनुसार सचिव , प्रमुख सचिव स्तर के अधिकारियों के बीच 23 दिसंबर से 15 जनवरी के बीच बजट पर चर्चा होगी। वित्त मंत्री अन्य विभागों के मंत्रियों के साथ बजट प्रस्तावों पर 27 जनवरी से 30 जनवरी तक चर्चा करेंगे। वित्त मंत्री के बजट भाषण के लिए विभागों से 15 जनवरी तक जानकारी देने को कहा गया है। वित्त विभाग के अधिकारियों का कहना है कि निर्धारित शेड्यूल के अनुसार बजट तैयार करने की प्रक्रिया जारी है। समय पर उक्त कार्रवाई पूरी कर ली जाएगी।

चार लाख करोड़ से अधिक का हो सकता बजट
मप्र का वित्त वर्ष 2025-26 का बजट चार लाख करोड़ रुपए से अधिक का हो सकता है। इसमें महिला एवं बाल विकास विभाग को लगभग 27 हजार करोड़ रुपये मिलेंगे। इससे लाड़ली बहना योजना और 450 रुपये में रसोई गैस सिलेंडर उपलब्ध कराने जैसी योजना के लिए प्रविधान रहेगा। लाड़ली बहना योजना पर वर्षभर में लगभग 18 हजार करोड़ रुपये व्यय हो रहे हैं। इसी तरह सस्ती दर पर बिजली उपलब्ध कराने के लिए दिए जाने वाले अनुदान के लिए विभिन्न विभागों के बजट में 25 हजार करोड़ रुपये से अधिक का प्रविधान रखा जाएगा। अधोसंरचना विकास के कार्यों को गति देने की प्राथमिकता को पूरा करने के लिए पूंजीगत व्यय 70 हजार करोड़ रुपये से अधिक किया जाएगा। वित्त विभाग की संचालक (बजट) तन्वी सुन्द्रियाल ने सभी विभागों को बजट की अंतरिम सीमा दी है ताकि वे इसके अनुसार प्रस्ताव तैयार कर सकें। बता दें, वर्ष 2024-25 का बजट तीन लाख 65 हजार करोड़ रुपये से अधिक का है।

सभी योजनाओं की समीक्षा
इस बार शून्य बजट की प्रक्रिया अपनाई गई है यानी एक-एक योजना की समीक्षा कराई जा रही है। इसमें उनकी उपयोगिता के बारे में पूछने के साथ अब तक की उपलब्धियों का ब्योरा भी मांगा जा रहा है। प्रस्तावों पर विचार करने के लिए उप सचिव स्तर के अधिकारियों की बैठकें चल रही हैं। इसके बाद सचिव और फिर मंत्री स्तरीय बैठकें करके प्रस्तावों को अंतिम देने के लिए मुख्यमंत्री के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा। व्यय सूत्रों का कहना है कि पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के लिए 19 हजार 203 करोड़ रुपये प्रस्तावित किए गए हैं। इसमें प्रधानमंत्री आवास से लेकर अन्य योजनाओं के लिए प्रविधान किया जाएगा। नगरीय विकास पर 17 हजार 236 करोड़, घर-घर पेयजल की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए 11 हजार 383 करोड़, स्कूल शिक्षा के लिए 39 हजार 109, लोक निर्माण के लिए 11 हजार 58, स्वास्थ्य के लिए 16 हजार 767, कृषि विकास के लिए 19 हजार 883, गृह के लिए 13 हजार 560, जनजातीय विकास के लिए 14 हजार 769 करोड़ रुपये की अंतरिम बजट सीमा दी गई है। इसमें पूंजीगत के साथ-साथ राजस्व व्यय भी शामिल हैं। इसी राशि में कर्मचारियों के वेतन-भत्ते के साथ पेंशनरों को किए जाने वाले भुगतान की राशि भी रहेगी। प्रदेश के कर्मचारियों को भले ही अभी 50 प्रतिशत की दर से महंगाई भत्ता दिया जा रहा है पर आगामी वित्तीय वर्ष में यह बढक़र 64 प्रतिशत हो जाएगा। इसके हिसाब से सभी विभागों को स्थापना व्यय में प्रविधान करके रखना होगा। इसी तरह संविदा कर्मचारियों के पारिश्रमिक में चार प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि के हिसाब से प्रविधान रहेगा।

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