धर्म

पितृ पक्ष में क्या करना है सही और क्या गलत?

बल्लभगढ़ के सेक्टर 63 में रहते हैं, पिछले 18 वर्षों से ज्योतिष में विशेषज्ञता रखते हैं. उन्होंने पितृपक्ष के दौरान बरती जाने वाली सावधानियों और इस अवधि के अंत में लगने वाले सूर्य ग्रहण के बारे में जानकारी दी है. पं. उमा शंकर ज्योतिषाचार्य ने 16 दिनों के पितृपक्ष के दौरान बरती जाने वाली सावधानियों पर प्रकाश डाला. साथ ही उन्होंने 2 अक्टूबर को होने वाले सूर्य ग्रहण का भी उल्लेख किया, जो भारत में प्रभाव नहीं डालेगा लेकिन अन्य देशों में दिखाई देगा.

पितृपक्ष में बरती जाने वाली सावधानियां
पं. उमा शंकर के अनुसार, पितृपक्ष की अवधि 16 दिनों की होती है. इस दौरान निम्नलिखित सावधानियों का पालन करना अनिवार्य है:

-इस दौरान बाल नहीं कटवाने चाहिए और साबुन का उपयोग नहीं करना चाहिए.
-लहसुन और प्याज का सेवन वर्जित है.
-पितरों को समर्पित भोजन को शुद्धता और स्वच्छता से तैयार करना चाहिए. पितरों की शांति के उपाय
पं. उमा शंकर ने बताया कि पितरों की शांति के लिए श्राद्ध, तर्पण, नारायण बलि और गंगा में पिंडदान करना अनिवार्य है. पितृपक्ष के दौरान गया जाकर पिंडदान करने से सात से 21 पीढ़ियों तक के पितरों को मोक्ष प्राप्त होता है. पितरों की शांति से घर में सुख-समृद्धि आती है, और उनकी अशांति से समस्याएं उत्पन्न होती हैं.

सूर्य ग्रहण का महत्व और सावधानियां
पितृपक्ष के अंतिम दिन, 2 अक्टूबर को सूर्य ग्रहण लगेगा, जो रात 9:13 बजे से शुरू होकर 3:17 बजे तक रहेगा. हालांकि, यह ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा, बल्कि अमेरिका, अफ्रीका, ईरान और इराक में दिखाई देगा.

 पितरों की शांति के उपाय
पं. उमा शंकर ने बताया कि पितरों की शांति के लिए श्राद्ध, तर्पण, नारायण बलि और गंगा में पिंडदान करना अनिवार्य है. पितृपक्ष के दौरान गया जाकर पिंडदान करने से सात से 21 पीढ़ियों तक के पितरों को मोक्ष प्राप्त होता है. पितरों की शांति से घर में सुख-समृद्धि आती है, और उनकी अशांति से समस्याएं उत्पन्न होती हैं.

सूर्य ग्रहण का महत्व और सावधानियां
पितृपक्ष के अंतिम दिन, 2 अक्टूबर को सूर्य ग्रहण लगेगा, जो रात 9:13 बजे से शुरू होकर 3:17 बजे तक रहेगा. हालांकि, यह ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा, बल्कि अमेरिका, अफ्रीका, ईरान और इराक में दिखाई देगा.

सूर्य ग्रहण के दौरान पालन करने योग्य बातें
सूर्य ग्रहण के समय भगवान का स्मरण, भजन-कीर्तन करना चाहिए. गर्भवती महिलाओं को विशेष सावधानी बरतनी चाहिए. इस दौरान दान करने, विशेषकर तुलादान और गंगा स्नान का अत्यधिक महत्व होता है. गंगा स्नान संभव न होने पर घर पर गंगाजल मिलाकर स्नान करने से भी गंगा स्नान का फल प्राप्त होता है.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button